चले एक गांव की ओर !


  • रविवार, 25 जनवरी 2015

    सरपंच चुनाव में जीत की अजीब दाँस्ता





















    आज से 2 दिन पहले हुये जिला परिषद(जिला प्रमुख) और पंचायत सदस्य(प्रधान) चुनाव में तो हमेशा की तरह गांव वाले अपने-अपने पार्टी के उम्मीदवार को जिताने के लिए पुरे जोर शोर के साथ लगे हुए थे। माहोल भी हमेसा की तरह गर्मागर्म और खींचतान वाला था। लेकिन सबकी समझदारी के साथ कुछ भी अनहोनी न होकर शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव सम्पन्न कराये मै भी वंहा पे सुबह से मौजूद था हम लोगो ने अंत में वहा पे वोल्लीवोल मैच खेला और दुगोली की टीम को हराया भी। लेकिन जब हम लोग मैच खेल के गाड़ी की तरफ लोट रहे थे तो गांव दुगोली के सभी लोग एक जगह एकत्रित थे। हमें पहले तो कुछ समझ नहीं आया फिर जानना चाहा तो पता चला प्रहलाद बुरडक को जमानत मिल गई। नाम सुनते ही हमने भी उस सक्स को देखने की इच्छा जताई मित्र लोग जो पास में खड़े थे बतला रहे थे की वो रहा पीले जैकेट वाला। आप लोग तो इस सक्स से अच्छे भले परचित होंगे की पुर्व सरपंच और हिस्टिस्टर केसर दुगोली के मुख्य हत्यारो में से एक था। अब हम सभी साथी गांव आ चुके थे सभी को कुछ ऐसा लग रहा था की सरपंच चुनाव में शायद ही एकता रहे, क्योंकि दुगोली गांव से एक सरपंच उम्मीदवार कटर कामरेड था। तो सभी को डर था की वो कही गांव में सेंद लगाके वोट न लेजाए। लेकिन भगवान को इसमें रजामन्दी नही थी मानो ऐसा तो हमको बिलकुल मंजूर नहीं था। कल रात यानि सरपंच चुनाव के जस्ट पहली रात को गांव का नज़ारा देखते ही बनता था की सचमुच गांव एकत्रित होकर अपने गांव की रक्षा कर रहा है। पांच से छः जगह तो लोग आग जलाकर बेठे थे कुछ बड़े लोग एक दुकान में समीकरण बेठा रहे थे। उस ठन्डे मौसम सेें सर्दी में कंपकपी छूट रखी थी, की अचानक आई एक कैम्पर गाड़ी ने खांमखा गर्मी ला दी। गर्मी आना भी स्वाभिक था, दो दिन पहले जमानत से आया प्रहलाद बुरड़क उस कैम्पर गाड़ी को चला रहा था। लेकिन हम नोजवानो को तो गांव वालो का पहले से सख्त आदेश था की प्रहलाद बुरड़क वोट तोड़ने की पूरी कोशिश करेगा उसको गांव में मत रुकने देना है। जेसी ही प्रहलाद बुरड़क की गाडी गांव में आई हमने अपनी गाड़ी पीछे लगा दी और गांव के कोने तक पीछा किया लेकिन उसकी गाड़ी रुकी नहीं तो हमने भी गांव में आना मुनासिब समजा और अब तक तो विरोधियो को अच्छी तरह समज आ चूका था की अब हम मोल्यासी गांव की एकता नहीं तोड़ सकते। आखिर हम लोगो ने पूरी रात जागकर गांव के वोटो को सेंद होने से बचाया।आज वो घड़ी आ गयी जिसका काफी दिनों से बेसर्बी से इंतजार था। अब सुबह-सुबह जो भी काम से शहर जाते है वो सब छुटटी करके हमारे साथ लग गए। हमने भी 20 से 25 लड़को को तो पर्ची काटने के लिये लगा दिया और 20 से ज्यादा टेबल लगा दी जिससे आसानी से पर्ची कटा सके। पर्ची काटने वालो के सामने 80 कुर्सिया रखी थी जहा पर 200 से 250 अपने गांव के लोग कोई खड़ा था कोई बेठा था कोई कह रहा था वो वोट नहीं आया कोई अपना समीकरण लगा रहा था। मै भी सुबह जल्दी नहाकर अपने मित्रो के साथ गांव के वोटर को गाडियो में बेठाकर दुगोली भेज रहा था। 20 से 25 गाड़िया आराम से चलते हुए दनादन वोटर को ला रही थी। बिलकुल हमारे सामने थोड़ी दूर दुगोली के उम्मीदवार बंसीलाल वर्मा का कार्यालय था। जिसमे ठल्ठली थी वो लगातार हमारे जनाधार को देखकर कह रहे थे की आप इतने वोट ला कहा से रहे हो हम भी उनको मुस्कराकर जवाब दे देते की एक पुराणी कहावत है एकता में शक्ति । इसके इलावा एक और दुगोली का उम्मीदवार 1083 एंव एक जगतपरा का 26228 था। चारो सरपंच के उम्मीदवार अपना अपना पूरा जोर लगा रहे थे लेकिन हमारा लक्ष्य 2 बजे तक पुरे वोट डलवाना था। हमने 12 बजे तक 1000 वोट डलवा दिए थे और दुगोली वाले तो यंहा पर ही हार मान गए। फिर भी सभी लोग अपनी सहजता से चुनाव करवा रहे थे। सब कुछ ठीक ठीका था की अचानक आई 5 से 6 पुलिस की गाडियो ने माहौल को गर्मागर्म कर दिया। एक बोलेरो गाडी जो एकदम नई थी नंबर भी नहीं थे। उसने बेवजह गांव में चार पांच चक्कर काट दिये तो उसकी शिकायत चुनाव निर्वाचन आयोग को हो गई थी। जिसके कारण सीकर पुलिस अपनी कोबरा टीम के साथ आई और उस गाडी और ड्रॉईवर को गिरप्तार करके ले गई। कोबरा टीम का अटैक इतना जबर्दस्त था की पहले उस गाडी को 10 से 15 जनो ने चारो और से घेरा, कोबरा वाले ब्लैक वर्दी में और ऐक 47 बंदूक हाथ में ले रखी थी। देखने में ऐसा लग रहा था मानो तालिबान के आतंकवादी को गिरप्तार कर रही है । आखिर हमने 4 बजे तक अपने गांव की 80% वोटिंग करवा दी थी। यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है, इससे पहले 76% वोटिंग का रिकॉर्ड जो पिछले विधायको के चुनाव में कायम हुआ था। अब 5 बज चुके थे वोट डालने का सिलसिला लगभग बंद सा हो चूका था। फिर भी हमने हर उस सक्स का वोट डलवाया जो किसी न किसी न रूप से सही नहीं था। आखिर हमने दुगोली,जगतपरा और अपने गांव के लोगो से पूछा की कोण जीत रहा है भाई लोगो, तो हर कोई यह कह रहा था की जगदीश वर्मा नहीं बल्कि मोल्यासी गांव, मोल्यासी की एकता जीत रही है। आखिर अब 6 बजने के साथ ही वोटिंग की गणना चालू हो गई । 50 से 60 व्यक्ति दुगोली रुक गए बाकी छोटे बच्चे और बूढ़े बुजर्ग गांव आ गए। हम अपने दोस्तों के साथ गांव के चोपाल में आग जलाकर बेठे थे लगातार चुनावो की चर्चा कर रहे थे जीत तो सुनिचित थी फिर भी सबके मन में एक कसक थी। लगातार हम फोन से संपर्क कर रहे थे लेकिन इतंजार की घड़ी बढ़ती जा रही थी। आख़िरकार 9:15 मिनट पर फिर मेरे फ़ोन की घंटी बजी, फोन था डब्लू बन्ना का जो दुगोली था। मैंन कहा सब चुप हो जाओ दुगोली से फोन है, सब दिल थाम के सुन रहे थे। फोन से आवाज आई अपना सरपंच जीत गया है वो भी 636 वोटो से । बस अब क्या यह सुनते ही हर कोई अलग अलग आवाजो में नारेबाजी करने लग गए। मोल्यासी एकता जिन्दाबाद के नारे लगने लग गए। सभी आपस में बधाई देने लग गए बृजमोहन बन्ना (बुल्या) ने एक बड़ा पटाका छोड़ दिया जिसके कारण सभी गांव वालो को एहसास हो गया की सरपंच जीत गया। पटाका की आवाज सुनते ही गांव में भीड़ एकाएक बढ़ गयी सभी रजाई की गर्मी छोड़कर जीत के जश्ण से खुद के अंदर गर्मी को जगाने को बेताब थे। अब इंतजार था तो बस  सरपंच जगदीश वर्मा और दुगोली गए सैंकड़ो कार्यकर्ता एंव गांव के गणमान्य नागरिको का, हम सभी लोग उनके स्वागत में गांव के मुकधर पे खड़े थे। अब हमको गाडियो का काफिला दिखाई देने लग गया और नारे की आवाज सुनाई देने लग गई। 15 से 20 गाड़ियों का काफिला ज्योंही गांव में पंहुचा हमने तबातोड़ तालिया और मोल्यासी एकता जिंदाबाद के नारे लगाके सुस्वागत किया। सभी गाड़ियां एकाएक गांव के मुख्य चौपाल में रुक गई और लोग जो गाड़ियों में थे वो भागकर हमारे पास ऐसे आये जेसे सालो के बिछड़े भाई हो और आपस में मिल ऐसे रहे थे जेसे पिंजरे के पंछियो को खुले आसमान की आजादी मिली हो। वास्तव में मैंन अपनी ज़िन्दगी में गाँवो वालो को इतना खुश कभी नहीं देखा । मैंन भी क्या बड़ो-बड़ो ने ऐसी ख़ुशी नहीं देखी। खुश होना भी जाहिर है क्योकि हर किसी ने जात पात से ऊपर उठकर अपना वोट दिया था। सभी लोगो ने सोचा सरपंच जगदीश बोलेरो में है इसलिए सभी ने उस बोलेरो को घेराव कर लिया लेकिन उसमे तो थे पुलिस वाले जो सरपंच को गांव तक छोड़ने आये थे। सभी लोग कहने लगे सरपंच कहा चला गया, कही किडनेप तो नहीं हो गया। किसी को कुछ पता ही नहीं की आखिर सरपंच गया कहाँ, फिर किसी ने कहा की पप्पू दादा  की गाडी भी नहीं है। एक मिनट के लिए सब शांत हो गए की अचानक पप्पू दादा की गाडी दिखते ही फिर जोर शोर से नारेबाजी हुयी। पता चला की वो घोटायाना बालाजी के धोक देने चले गए थे। फिर उस भीड़ जो आज तक इतनी कभी गांव में एकत्रित नहीं हुयी लगभग 500 से ऊपर जनाधार को नीचे बेठाके पूरी समरी बताई की किस को कितने और किस वार्ड से जगदीश को इतने वोट मिले।

    250 लडडू और 500 व्यक्ति आधा आधा बांटा फिर भी मेरे जेसे रह गए। मोल्यासी एकता ज़िन्दाबाद, मोल्यासी की बले बले बाकी सब चले चले, जेसे नारे काफी जोर शोर से लग रहे थे। चुनाव की गाथा बताई जा रही थी की इतने में डीजे की आवाज सुनते ही पूरी जनता उठ खड़ी हुयी और डीजे के सामने भाग पड़ी। और अब ईस दृश्य को जिसने न देखा मानो उसने कुछ न देखा औए आहा आः हा कैसे झूम रहे थे हर वो चेहरा हंस रहा था जिसने चुनाव में ज़रा सा भागीदार बना हो। 3 बजे तक डीजे बजता रहा लोग नाचते रहे।डीजे फिर सुबह बजने लग गया गांव की गली गली में जुलस निकाला गया और फिर अंत में दुगोली में हुयी वार्ड पंच और सरपंच की मीटिंग में उपसरपंच का पद मूलचंद कुमावत को दे दिया। जो पहले नहरो की ढाणी को देने की बात थी लेकिन उन्होंने हमें धोखा दिया। ईस लड़ाई में कोई एक व्यक्ति जीत का मोहताज नहीं था यह तो युवाशक्ति की जीत है। मोल्यासी की एकता की जीत है। मुझे लगता है आपको यह जीत की दास्ताँ पसन्द आई होगी, फिर मिलेंगे आज के ठीक पांच साल बाद तब तक हमारे सरपंच इस गांव को जरूर आदर्श गांव विकसित गांव बनाएंगे ।। 



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